चैथे खंड के प्रारंभ में द्वितीय एवं तृतीय खंड का सार दिया जा रहा है ताकि आपको पूर्व कथानक की स्मूति बनी रहे।
तीसरा खंड लिखते समय मुझे आनंद की विशेष अनुभूति हुई। कारण, चुलबुला विष्णु कर्णपुर जो लौट आया। इस खंड को पढ़ते हुए आपको भी ऐसा लगेगा कि विष्णु की उपस्थिति हमें आहादित करती है। मैंने विभिन्न विधाओं में अब तक लगभग तीन दर्जन पुस्तकें लिखी हैं, लेकिन इस किशोर उपन्यास से मुझे विशेष लगाव है।
-श्रीनिवास वत्स
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गुल्लू और एक सतरंगी-4 / Gulloo Aur Ek Satrangi-4
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ISBN: 978-81-936159-9-7
Edition: 2018
Pages: 148
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Shriniwas Vats
Category: Novel