आगामी अतीत
हिंदी के प्रखरतम साहित्यकार, ‘नयी कहानी’ कथा- आंदोलन के प्रवर्तक और प्रमुख प्रवक्ता तथा समांतर- लेखन के प्रथम पुरुष कमलेश्वर लघु उपन्यासों के क्षेत्रा में भी अन्यतम स्थान रखते हैं। उन्होंने लघु उपन्यास की विधा को हिंदी में दूर तक प्रतिष्ठापित और बहुत हद तक प्रतिष्ठित किया है।
अनेक लघु उपन्यासµ‘बदनाम बस्ती’, ‘डाकबँगला’, ‘काली आँधी’, ‘समुद्र में खोया हुआ आदमी’ के क्रम में उनका अत्यंत चर्चित और विवादास्पद उपन्यास ‘आगामी अतीत’ आपके हाथों में है। अपने समय
के प्रतिष्ठित साप्ताहिक ‘धर्मयुग’ में यह उपन्यास धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ था।
कुछ पाठकों की दृष्टि में यह भले ही एक रोमानी उपन्यास है, मगर जिन्होंने कथ्य को सही रूप में पकड़ा है उनकी दृष्टि में इस उपन्यास की ‘चाँदनी’ हिंदी साहित्य का ऐसा विरल स्त्राी-चरित्रा है, जिसका कालांतर में कोई प्रतिद्वंद्वी चरित्रा सृजित नहीं हो सका।
उपन्यास पढ़ने पर आप स्वयं पाएँगे कि कमलेश्वर ने अपने इस उपन्यास में रोमांटिकता को रोमांटिकता से ही धराशायी किया है। इसके कथ्य में रचनाकार की जनपक्षधरता भी पर्याप्त रूप से मुखरित है।
यह भी कि इस उपन्यास पर आधारित ‘मौसम’ शीर्षक हिंदी फिल्म गुलज़ार के निर्देशन में बनी और व्यापक दर्शक वर्ग द्वारा सराही जा चुकी है।