कूर्मांचल की पृष्ठभूमि पर केंद्रित यह उपन्यास अपने आकार में संक्षिप्त होते हुए भी इस पर्वतीय भूभाग के सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों से लेकर स्वतंत्रता संघर्ष तक की एक स्मरणीय महागाथा है। शुरू में हास्यास्पद से नजर आते और अपनों के ही बीच प्रायः उपेक्षित रहने वाले हरीश चंद्र पांडे फर्क हरदा को, धीरे-धीरे राजनीतिक चेतना और सामाजिक विसंगतियों के प्रति सजगता से आप्लावित होते चले जाने के साथ ही, गंभीरता से लिया जाने लगता है। इस क्रम में हरदा के कार्यकलाप लोक कलाओं की महत्ता और सामाजिक-राजनीतिक उपयोगिता को बड़े सटीक ढंग से रेखांकित करते हैं, जिससे उन्हें एक महत्तवपूर्ण और जुझारू लोक कलाकार की हैसियत मिलती है। जुझारू होने के कारण उन्हें स्थानीय राजनीतिक और निहित स्वार्थों की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन ये चुनौतियां उनके व्यक्तित्व को अधिकाधिक कद्दावर बनाती हैं और अंततः वे एक जनप्रिय लोक कलाकार के रूप में स्थापित होते हैं।
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ऐसे हमारे हरदा / Aise Hamare Harda
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ISBN : 978-93-82114-57-4
Edition: 2013
Pages: 208
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Pradeep Pant
Category: Novel