बड़की बहू संकलन की कहानियाँ लेखक के बहुवर्णी जीवनानुभव का आईना हैं। इनके बहुविध चरित्रों की गाँव-शहर, देश-विदेश के बीच आवाजाही जीवन के जिस अंतरंग का उद्घाटन करती है वह लेखक की खाँटी स्वानुभूति से अनुस्यूत है। कहानियों का केंद्रीय सरोकार मनुष्य के जीवन-संघर्ष का वह आयाम है जो व्यवस्था और जीवन की बेहतरी के नए क्षितिज की तलाश में निरंतर क्रियाशील है।
प्रस्तुत पुस्तक की कहानियाँ किसी प्रशस्त, पूर्वनिर्धारित मार्ग पर चलने के बजाय उन पगडंडियों के धुँधलके में उतरती हैं जहाँ सरलीकरण की सुविधा नहीं है। जीर्ण-जटिल भारतीय समाज की दुरूह सच्चाई को उघाड़ने के लिए जिस गहन अंतर्दृष्टि और सूक्ष्म संवेदना की दरकार है, उसकी एक बानगी प्रस्तुत करती हैं ये कहानियाँ।
निरे वाग्जाल और वैचारिकता की वायवीय उड़ान से लेखक के सजग परहेज और जीवन के अनगढ़ यथार्थ से सृजनात्मक जुड़ाव ने कहानियों में कथारस और विश्वसनीयता को अक्षुण्ण रखा है जो ऐसे तत्त्व हैं जो इधर दुर्लभ होते जा रहे हैं।