किसी दूसरे मर्द से एक दिन के लिए शादी करके क्या मैं बाद में अपने शौहर को पा सकूँगी? मैंने ऐसा कौन-सा गुनाह किया है, जिसके लिए मुझे ऐसी सजाह दी जा रही है? दूध पीते बच्चे को उठाकर ले जाने वाले और तलाक देकर मुझे पीड़ित करने वाले वे लोग हैं और सजा मुझे दी जा रही है? यह कहां का इंसाफ है? गलतियां तो मर्द करें और सजा औरत को मिले, ऐसा क्यों? अगर मेरा खाविंद ही एक रात दूसरी औरत के साथ बिताएगा तो? हूं, मर्द का क्या है? वह शायद मान जाएगा। उसे सवाब नहीं मिलेगा। लेकिन एक औरत के लिए यह सब कैसे मुमकिन है? अगर मैं मान भी जाऊँ तो मेरे शौहर को मुझसे नफरत नहीं होगी-इस बात का क्या भरोसा है? क्या यह उसे बुरा नहीं लगेगा कि उसकी बीवी ने एक रात दूसरे मर्द के साथ बिताई? इससे क्या पहले-सी पाक मोहब्बत और जज्बात मुमकिन हैं? अगर दूसरे दिन रशीद मुझसे शादी करने से इनकार कर दे तो मौलवी जी क्या कहेंगे? सब कुछ बेकार चला जाएगा न? मौवली जी ‘जाने दो, परवाह नहीं’ कहेंगे। इन मर्दों के कहने से एक रात किसी एक मर्द केसाथ बिताऊं, मैं जानवर हूं क्या?
-इसी पुस्तक से
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चन्द्रगिरि के किनारे / Chandragiri ke Kinaare
₹75.00 Original price was: ₹75.00.₹65.00Current price is: ₹65.00.
ISBN : 978-81-89859-54-1
Edition: 2008
Pages: 64
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Sara Abubkar
Category: Novel
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