दागी तिकोन’ उपन्यास का कथानक भीषण संघर्ष से भरा है। तेलुगुभाषी प्रांत के नेल्लूर-चित्तूर जिलों में फैली यानादी जनजाति के लोग बंजारों और मुसहरों की तरह यायावर जीवनयापन करते हैं। ये लोग सामाजिक विकास की दृष्टि से आज भी दयनीय अवस्था में हैं। समय की गति के साथ जब अन्य लोग समाज की विभिन्न आर्थिक सोपानों को पार करते हुए खेती-किसानी को अपना चुके थे, तब भी यानादी जीवन की पारंपरिक शैली और पुराने विश्वासों के साथ ही बंधे रहे। ऐसे लोगों को संपत्ति और संपत्ति के अधिकारों की बात आसानी से समझ में नहीं आती। इन्हें चोर कह देना विकसित समाज के लिए बहुत आसान होता है। इसीलिए मद्रास प्रेसिडेंसी में सन् 87 में तैयार की गई जरायम-पेशा जनजातियों की गणना में 1924 में इस जनजाति को भी शामिल कर लिया गया था। इसी पृष्ठभूमि में डॉ. केशव रेड्डी ने इस उपन्यास की कथावस्तु का निर्माण किया है। अनुवाद में मूल रचना का आस्वाद है।
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दागी तिकोन / Daagi Tikon
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ISBN : 978-93-80048-85-7
Edition: 2016
Pages: 96
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Keshav Reddy
Category: Novel
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