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दस प्रतिनिधि कहानियाँ :  शैलेष मटियानी / Dus Pratinidhi Kahaniyan : Shailesh Matiyani

Original price was: ₹180.00.Current price is: ₹153.00.

ISBN : 978-81-7016-380-0
Edition: 2017
Pages: 124
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Shailesh Matiyani

Category:

अब वह सड़क पर था और उसकी आंखें रामचन्दर हलवाई के कारीगर के जलेबी बनाते हाथ के इर्द-गिर्द चक्कर काटने लगी थीं और भूख इतनी तीखी हो चुकी थी कि वह बदहवासी अनुभव कर रहा था। अपनी इस तरह की बदहवासी से रामखिलावन को डर लगता है। ऐसे में अक्सर उसे-चोरी सूझती है और इसी में वह कई बार बुरी तरह पिट भी चुका है। इस बार खाट पकड़ लेने से पहले तक उसकी मां कई घरों में बर्तन मांजने और झाड़ू लगाने की नौकरी करती रही थी। कभी-कभार उसे भी साथ ले जाती वह।मौका ताड़कर घर के बच्चों की रंगीन किताबें पलटने लगता और अपनी पूर्व-स्मृति से काम लेता, जोर से पढ़ता-लौ-औ-ट-पौ-औ-ट-तो वह कैसे चोंक कर देखती थी? खिलावन का यह अक्षर ज्ञान उसमें एक आलोक उत्पन्न करता मालूम पड़ता था। फटे-पुराने कपड़ों के अलावा, बचा-खुचा खाना और त्योहारों पर कभी पूरी-मिठाई। लगभग डेढ़ महीने से मां काम पर नहीं जा पाई, ए.जी. आफिस वाले शुक्ला साहब के यहां। अकेले गया था वह। किसी बड़ी हचीज के लिए गुंजाइश नहीं रहती। दरवाजे से बाहर निकलते वक्त शुक्ला इन उसके पूरे जिस्म पर अपनी भैंगों आंखों को उंगलियों की तरह फिराती रहती हैं। बरतन धोते में सिर्फ दो छोअी चम्मचें उसने जांघिये की जेब में डालली थीं, हालांकि खुद उसके दिमाग में ही कुछ तय नहीं था कि उनका वह क्या उपयोग कर पाएगा। जाने की उतावली में वह ‘बहूजी, हम जाइत हैं’, की आवाज लगाने के साथ-साथ, तेजी से दरवाजे तक पहुंच गया था। तभी शुक्ला इनका चटख लाल चूड़ियों से भरा पंजा उसके जांघिये की जेब पर पड़ा था और बदहवासी में उसके मुंह से चीख निकल गई थी।

-इस पुस्तक की ‘चील’ कहानी से

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