कसाईबाड़ा
नोनी बुझ-सा गया । निढाल-सा हो गया । मरी हुई आवाज़ में कहने लगा, “न्यूरमबर्ग में क्या रखा है जी ! कुछ भी तो देखने लायक नहीं है । वह भी शहरों में से एक शहर है । बस, एक पुराना जेलखाना है । बैरकों जैसा। जहाँ नाजियों पर मुकदमे चले थे । जब लडाई ख़त्म हुई तो जुल्म करने वाले नाजियों को उन्होंने धर दबोचा। हिटलर ने तो आत्महत्या करके मुक्ति पा ली। बाद में जिनके पास धन-दौलत थी, वे सोने से लदी गाडियों देकर भाग-भूग गए । सुना है, अभी तक कई नाजी अमेरिका में और दूसरे मुल्कों में नाम बदलकर रह रहे है । लेकिन जो पकडे गए, उनको उन्होंने न्यूरमबर्ग की जेल में कैद कर दिया। उसे फाँसी पर लटकाया गया । बस, यहीं है न्यूरमबर्ग । जेलखाने, और फाँसी देने वाला शहर ।”
“पर नोनी, साठ लाख यहूदियों को जिन्होंने वहशी दरिंदों की तरह ख़त्म कर दिया था, उन्हें फाँसी तो होनी ही थी।”
“बडे दरिंदे हमेशा बच जाते है छोटे ही फँसते है ।”
“ठीक कहते हो।”
“पर लाखों यहूदियों को मौत के घाट उतारने वाले नाजियों के लिए जो जेलें बनी थीं, उनमें आजकल उन्होंने मासूम मेमने रखे हुए है ।”
“कौन से मेमने ?”
“बस, गंदुमी रंग के मेमने । उनके बीच कभी-कभी कोई गोरा या पीला मेमना भी आ फँसता है । . . वह देखिए, वह सामने जो जेल-सी बिल्डिंग नज़र आ रही है । “
अजीब इमारत थी, जिसकी एकमात्र लंबी मोटी दीवार जमीन से उठी हुई थी । ऊ …पर तक । पुराने किले की तरह ।
लेकिन किलों में कोई धोखा नहीं होता । वे दूर से ही एलान कर देते है कि हम किले है । पुराने वक्तों के । अपनी फौजों को, अपने आपको, अपनी रानियों को, अफसरों. दरबारियों, कर्मचारियों को, और राज्य का अन्न-भंडार सुरक्षित रखने के लिए तथा आक्रमणों से बचने के लिए राजे-महाराजे किलों का निर्माण करवाते थे । अब इनके भीतर केवल पुरानी हवाएँ बाल खोले घूमती है । चमगादड़ बसेरा करते हैं, घोंसले बनाते है क्योंकि उन्हें अभी भी इन दीवारों में हुए छेद सुरक्षित नजर आते है । [इसी संग्रह से]