सत्ता-संघर्ष में पांडु-पुत्रों को सिंहासन प्राप्त हो गया। कौरव वीरगति को प्राप्त हो गए, अतः वे स्वर्ग के अत्तराधिकारी हो गए। किंतु जिस संघर्ष में कौरव पक्ष के ग्यारह अक्षौहिणी और पांडव पक्ष से सात अक्षौहिणी (एक अरब, छाछठ करोड़, बीस हजारद्ध अर्थात् अट्ठारह अक्षौहिणी योद्धा मारे गए, उससे हस्तिनापुर को क्या प्राप्त हुआ? हस्तिनापुर की प्रजा को क्या मिला? केवल विनाश! क्या इस सत्ता सघर्ष को रोका नहीं जा सकता था? युद्ध के अलावा यदि कोई मार्ग शेष नहीं था, तो फिर इस विनाश के लिए उत्तरदायी कौन था?
ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए मेरा मन हस्तिनापुर की पीड़ित प्रजा के पास गया। उनके मन की पीड़ा समझने और अपने प्रश्नों के उत्तर खोजन का प्रयास किया। हस्तिनापुर की प्रजा की पीड़ा, मन में उत्पन्न प्रश्न और हस्तिनापुर की प्रजा से प्राप्त उत्तरों ने ही इस उपन्या को जन्म दिया है।
मन में उत्पन्न विचारों का उपन्यास के रूप में चित्रित करने के लिए कहीं-कहीं कल्पना और अति-कल्पना का सहारा अवश्य लेना पड़ा। यह कथा-क्रम की विवशता थी, किंतु महाभारत के तथ्यों के साथ तनिक भी छेड़छाड़ न हो, इसका भी पूरा ध्यान रखा गया है। इसके अतिरिक्त कथा की व्याख्या वर्तमान संदर्भ में भी करने का प्रयास किया गया है।
-राजेन्द्र त्यागी
Sale!
महाभारत का अभियुक्त / Mahabharat Ka Abhimanyu
Original price was: ₹225.00.₹191.25Current price is: ₹191.25.
ISBN : 978-81-89982-08-9
Edition: 2010
Pages: 168
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Rajendra Tyagi
Out of stock