मेरा जामक वापस दो
जामकµपचास घरों का छोटा-सा गांव। पिछले कुछ बरसों से इस गांव के एक छोर पर काली रहता है, दूसरे छोर पर हरि। काली ऊंचाई पर रहता है। जहां हरि रहता है, वह जगह गांव में सबसे निचले स्तर पर, भागीरथी के तट के पास है। हरि के मकान के बाद पुल को पार करते ही वह बटिया शुरू होती है जो मनेरी बांध की ओर जाती है। गांव की सीमा के बाहर नदी को पार कर लेने के बाद वह बटिया गंगोत्राी-उत्तरकाशी मोटर मार्ग से जुड़ जाती है। पहाड़ों और उनकी चोटियों-घाटियों से निकलकर बाहरी दुनिया से संपर्क करा देने वाली एकमात्रा बटिया।
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जाड़ों का मौसम। आज धूप दिखाई दे रही है। जामकवासी अपने घरों के उजड़ जाने के बाद से हमेशा घोर चिंता में डूबे रहते हैं। ऐसे कब तलक काम चल सकता है? ज़्यादातर जामकवासी घना के खेत के किनारे आकर आपस में सलाह-मशविरा करने लगे हैं। ऐसे लोग, जिन्हें अब दिन-दिन भर किसी और के मंगनी के घर पर बिछे बिस्तर पर लेटे रहने की मजबूरी नहीं है, वे भी वहां पर आ गए हैं। इस पर पहुंच जाने से जामकवासियों को ऐसा लगने लगता है कि वे एक बार फिर से बाहरी दुनिया को अपनी आंखों से देखने लगे हैं कि उन्हें बाहरी दुनिया की ताज़ा हलचलों से परिचित होने का मौका मिलने लगा है।
-इसी उपन्यास से