मेरे साक्षात्कार: मोहन राकेश
साहित्यिक विधा के रूप में ‘साक्षात्कार’ अपेक्षाकृत नई चीज़ है। सनसनीखेज़, विवादी, परिचयात्मक, मनोरंजक, सूचनात्मक और विज्ञानधर्मी, ग्लैमरस हलके-फुलके तथा सतही साक्षात्कार प्रायः अख़बारी ज़रूरतों के लिए छापे जाते हैं। ये सुबह छपते हैं और शाम तक रद्दी बन जाते हैं। इस पुस्तक में संकलित साक्षात्कार बहुआयामी रचनाकार मोहन राकेश के व्यक्तित्व, कृतित्व, चिंतन और सपनों एवं सरोकारों को गंभीरता तथा गहराई से उजागर करते हैं। ये साक्षात्कार साहित्य, भाषा, समय, समाज और परिवेश के साथ-साथ किंवदंती-से बन गए राकेश के जीवन के ज्ञात, अल्पज्ञात एवं अज्ञात पहलुओं को, विश्वसनीय और प्रामाणिक रूप में, परत दर परत खोलते चलते हैं।
इस पुस्तक के सभी साक्षात्कार अधिकारी विद्वानों द्वारा पूरी गंभीरता, ज़िम्मेदारी और ईमानदारी से लिए गए साहित्यिक साक्षात्कार हैं, जो हिंदी-अंग्रेज़ी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं, पुस्तकों और शोध-प्रबंधों में प्रकाशित होते रहे हैं। हिंदीभाषी पाठकों की सुविधा के लिए अंग्रेजी साक्षात्कारों का हिंदी अनुवाद ही यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
नई कहानी आंदोलन के एक प्रमुख सूत्राधार तथा आधुनिक हिंदी नाटक एवं रंगमंच के अग्रदूत मोहन राकेश के ये साक्षात्कार एक पूरे साहित्यिक दौर के जीवंत दस्तावेज़ हैं। कथाकार, नाटककार, गद्य-लेखक, संपादक, शोधार्थी और थिएटर एक्टीविस्ट के रूप में मोहन राकेश के घटनापूर्ण दुःसाहसी जीवन, महत्त्वपूर्ण कामकाज, सतत संघर्ष और अपने साहित्यिक समय की आंदोलित धारा में सार्थक एवं महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप के जीवंत साक्ष्य हैं ये साक्षात्कार।