मेरे साक्षात्कार: मृदुला गर्ग
किताबघर प्रकाशन की महत्त्वाकांक्षी पुस्तक शृंखला ‘मेरे साक्षात्कार’ में अनेक रचनाकारों के साक्षात्कार प्रकाशित किए जा चुके हैं। इसी क्रम में प्रस्तुत पुस्तक में मृदुला गर्ग के साक्षात्कारों को संकलित किया गया है। कहने की जरूरत नहीं कि किसी रचनाकार की रचनाशीलता को समझने में साक्षात्कार विधा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और प्रामाणिक मानी जाती है। जिसमें साक्षात्कारकर्ता रचनाकार की रचनाओं से उपजे सवालों के कठघरे में उसे खड़ा करता है। इसके जरिए रचना के निहितार्थ खुलते हैं।
इन साक्षात्कारों से न केवल मृदुला गर्ग के व्यक्तित्व और उनके भीतर के रचनाकार के अनेक अनछुए आयाम उद्घाटित हुए हैं बल्कि उनकी रचनाओं के अंतर्निहित अर्थ भी अनावृत्त हुए हैं। विशेष रूप से ‘कठगुलाब’ और ‘चित्तकोबरा’ से संबंधित सवालों के जवाब में उनके द्वारा रखे गए तर्क, इन कृतियों को नए सिरे से मूल्यांकित करने की मांग करते हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों में इंसानी रिश्तों (विशेष रूप से स्त्राी-पुरुष) की सर्वथा नई परिभाषा और नया मनोविज्ञान गढ़ने वाली मृदुला गर्ग का अपने पात्रों-कथानकों के बारे में किया गया विश्लेषण चैंकाता है। उम्र के विभिन्न पड़ावों से गुजरने के दौरान समांतर रूप से चलने वाली मृदुला गर्ग की रचनाशीलता में हुए निरंतर बदलावों को भी विभिन्न अवसरों पर लिए गए उनके साक्षात्कारों में महसूस किया जा सकता है।
आशा है, प्रस्तुत पुस्तक मृदुला गर्ग की रचनाशीलता को समझने में सहायक सिद्ध होगी।
-विज्ञान भूषण