गांधीवादी चिंतक, विचारक, लेखक विष्णु प्रभाकर ने जितना साहित्य रचा है, उससे कम बोला भी नहीं कहा जा सकता।
वार्ताकार अपनी ओर से कुछ नया, कुछ महत्वपूर्ण जानने ही किसी विशिष्ट जन के पास जाता है, पर क्या हर बार ऐसा हो पाता है कि विशिष्ट जन कुछ अनकहा कह पाया हो? प्रस्तुत पुस्तक में विष्णु जी के कई ऐसे साक्षात्कार हैं जिनके जवाबों ने तो पाठकों को चैंकाया ही, जिनके सवालों ने स्वयं विष्णु जी को भी कम हैरत में नहीं डाला। पुस्तक की भूमिका में उन वार्ताकारों का, उनके सवालों का और उनके सरोकारों का उल्लेख करना ही इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि वार्ताकार ने वार्तादाता को कितना मथा।
विष्णु प्रभाकर न सिर्फ गांधीवादी लेखक-चिंतक हैं, वे बांग्ला उपन्यासकार शरत्चंद्र चट्टोपाध्याय के जीवनीकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, मसिजीवी, यायावर, नाटक, कहानी, उपन्यास, निबंध और साहित्य की विविध विधाओं के सर्जक हैं। स्वाभाविक है, विष्णु जी की वार्ताओं में न केवल हमारा निकट अतीत, विकट वर्तमान और संकटग्रस्त भविष्य उजागर हुआ है, साहित्य के सरोकार, एक लेखक का संघर्ष और साहित्य की धरोहर भी उजागर हुई है।
संकलित साक्षात्कार पाठक तक उतना कुछ थोड़े में पहुंचाने में समर्थ हैं, जितना कुछ कई पोथियों में दर्ज करने पर भी न पहुंच पाया होगा।
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मेरे साक्षात्कार: विष्णु प्रभाकर / Mere Saakshaatkar : Vishnu Prabhakar
Original price was: ₹300.00.₹255.00Current price is: ₹255.00.
ISBN : 978-81-7016-247-6
Edition: 2008
Pages: 328
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Vishnu Prabhakar
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