‘रामकथा की नारियाँ’, पुस्तक लिखने का विचार क्यों मन में आया जबकि वे सारे प्रसंग, सभी पात्रें के क्रिया-कलाप, घटनाओं के कारण और पात्रें के चरित्र सभी कुछ संपूर्ण संसार को पहले से ही ज्ञात है। मेरे विचार से भारत देश का कोई भी साधारण पढ़ा-लिखा मनुष्य जो अधिक या कम सामाजिक ज्ञानवान, विद्वान या अल्पज्ञानी, अत्यधिक अथवा अल्प अध्यात्मिक ज्ञान भी रखता हो और जिसने अनेक महान ग्रंथों, वेदों, उपनिषदों इत्यादि को न भी पढ़ रखा हो तथापि बड़े-बूढ़ों से सुनकर अथवा टेलीविजन पर ही रामायण और रामकथा को देखकर ही रामाख्यान का सम्यक ज्ञान तो अभी तक अवश्य ही प्राप्त कर लिया होगा, ऐसी मेरी धारणा है। फिर भी मुझे ऐसी प्रेरणा क्यों हुई और रामायणकालीन स्त्रियों के जीवन और उनके चरित्र के बारे में लिखने की क्या आवश्यकता महसूस हुई? किसी दैवीय प्रेरणा के कारण ही मेरे मन में यह भावना उत्पन्न हुई होगी शायद ऐसा मेरा मानना है। जैसा कि मैं समझती हूं कि जब हम इन रामायणकालीन नारियों के चरित्र के बारे में अथवा इनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में पढ़ते, देखते अथवा सुनते हैं तो हमारे मन में बहुत सारे ऐसे प्रश्न उठते हैं कि उसने वह कार्य किया ही क्यों जो धर्मसम्मत नहीं था या जिसकी आवश्यकता ही नहीं थी।
—डॉ- सांत्वना मिश्रा
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RAMKATHA KI NAARIYAN
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ISBN : 978-93-89663-31-0
Edition: 2024
Pages: 270
Language: Hindi
Format: Hardcover
Author : Dr. Santavna Mishra
Availability: 10 in stock
Categories: Biography, New Release
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