आज कथेतर गद्य पाठकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं आत्मकथा, जीवनी, यात्रवृत्त, डायरी, संस्मरण आदि, जो गद्य की लघु विधाएँ मानी जाती हैं, में पाठकों की दिलचस्पी बढ़ रही है। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि इनमें कल्पना और फंतासी का आवरण लगभग नहीं के बराबर होता है और वैज्ञानिक युग का पाठक अपनी जिज्ञासा को सीधा यथार्थ में शांत करता है। प्रख्यात कवि-आलोचक श्री विश्वनाथ प्रसाद तिवारी एक महत्त्वपूर्ण सर्जनात्मक गद्यकार हैं जिन्होंने इन विधाओं में भी लेखन किया है। उनकी आत्मकथा, डायरी और यात्रवृत्त आदि के प्रशंसक पाठकों की संख्या काफी है। उनकी प्रसिद्ध आत्मकथा ‘अस्ति और भवति’ का तो कई भाषाओं में अनुवाद हो रहा है। प्रस्तुत कृति समय की स्मृति श्री तिवारी के संस्मरणों का संकलन है जो अनेक महत्त्वपूर्ण समकालीन लेखकों के बारे में है। इनकी सबसे बड़ी विशेषता है संस्मरणकार की तटस्थता, विश्वसनीयता और ईमानदारी। इन संस्मरणों में संबद्ध लेखकों के साथ ही अपने समय के साहित्य की बहुत सी अंतरंग जानकारियाँ भी प्राप्त की जा सकती हैं। ये संस्मरण किसी लेखक की मूर्तिपूजा या उसके मूर्तिभंजन के लिए नहीं लिखे गए हैं। इस संदर्भ में लेखक महादेवी वर्मा के संस्मरणों को आदर्श मानते हैं और विश्वास है कि इनके पाठक भी इन्हें आदर्श रूप में स्वीकार करेंगे।
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ISBN: 978-9-89663-14-3
Edition: 2021
Pages: 184
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Vishwanath Prasad Tiwari
Category: Memoirs
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