मनोहर श्याम जोशी के तीन उपन्यास
हरिया हरक्यूलीज़ की हैरानी: ‘कुरु-कुरु स्वाहा’ और ‘कसप’ उपन्यासों से मनोहर श्याम जोशी ने उत्तर आधुनिक शिल्प और चिंतन की प्रतिष्ठा करने का जो सिलसिला शुरू किया था उसी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने इस उपन्यास में कथा को ही कथानक बनाते हुए सत्य और गल्प की सीमा-रेखा को संशय के रंग में रँग दिया है।
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ट-टा प्रोफेसर: इस उपन्यास में मनोहर श्याम जोशी ने एक साधारण पात्र को महानायक और महामूढ़ के मिथकीय फ्रेम में मढ़ दिखाने वाले अपने कथा-कौशल का प्रभावशाली प्रदर्शन किया है। विशिष्ट बनने के प्रयास में मामूली लोगों की दुनिया में गैर-मामूली ढंग से हास्यास्पद प्रतीत होने वाले मामूली प्रोफेसर ट-टा की हास्यास्पद लगने वाली मामूली प्रेम-कहानी में भी लेखक अमर प्रेम-कहानी के तत्त्व देखता और दिखाता है।
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हमज़ाद: मनोहर श्याम जोशी की पिछली कथाकृतियों की ही तरह यह उपन्यास भी कथ्य और शिल्प की दृष्टि से हिंदी कथा-संसार में एक नयी सड़क बनाता है। भाषा की बहुरंगी नोक-पलक पर अपने सर्वविदित अधिकार को भी फिर प्रमाणित करते हुए उन्होंने इस बार घटिया शाइर तख़तराम का भेस बनाकर ऐसा गद्य लिखा है जो निश्चय ही उर्दू को हिंदी की ही शैली मानने वाले हिंदी-प्रेमियों को और देवनागरी में फ़ारसी सही लिखने का आग्रह करने वाले उर्दूपरस्तों को समान रूप से सुखी-दुखी करेगा।